लेखनी प्रतियोगिता -17-Jan-2023
ख़ामोश आवाज
ख़ामोश हो चली है आवाज
अब सुनाई नहीं पड़ती है
खुद को ही खुद की बोली की
गुंज, पुकार रही है फिर भी जाने
कौन सा है वह रास्त जिसको ये
कर वह अब कानों के पास आती
नहीं है, निकलती है शायद अब
कंठ से बाहर मेरे कामयाबी के रंग
बस अब नज़र आतें है खामोशी हो
चली है मेरी आवाज़ मेरे ही अपनों
के कानों पर सुनाई देती नहीं है।
राखी सरोज
Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Feb-2023 12:08 PM
बेहतरीन बेहतरीन
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अदिति झा
08-Feb-2023 10:33 AM
Nice 👌
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Mahendra Bhatt
18-Jan-2023 09:17 AM
👌👏🙏🏻
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RAKHI Saroj
20-Jan-2023 03:22 AM
धन्यवाद
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